हाल में ही एस.बी.आई. की मेंस परीक्षा हुई.
जो लोग प्रिलिम्स में सफल हुए थे वह बहुत खुश और अति-उत्साहित थेकि एस.बी.आई. जैसी
प्रतिष्ठितपरीक्षा में वह सफल हो गये. पर इसी अति-उत्साह ने उन्हेंमेंस में
विफलताका मार्ग दिखाया.अति-उत्साहित होने से हमेशा बचना चाहिए. आपको समझना चाहिएकि
प्रिलिम्स परीक्षा एक छंटनी परीक्षा है जिसमें औसत विद्यार्थियों का चयन किया जाता
है ना कि सर्वश्रेष्ठ. यदि आप एक औसत छात्र के दर्जेसे ही खुश हैं, तो आपकी जय हो!
अब आई.बी.पी.एस. की परीक्षा की तिथि भी निकट
आ रही है. आपको रणनीति में बदलाव लाना होगा क्योंकि अब सब कुछ बदल गया है. अब केवल
एक परीक्षा नहीं, दो-दो परीक्षाओं से आपका सामना होने वाला है.पहली परीक्षा (प्रिलिम्स) और
मेंस के लिए रणनीति आपको खुद बनानी पड़ेगी.पर फिर भी इन बातों पर रखें ध्यान:-
1.चूँकि परीक्षा 100 मार्क्स (100 marks) का है इसीलिए कट-ऑफ,
कट-ऑफ (cut-off) की रट छोड़ कर आपको यह
ध्यान में रखना चाहिए कि कम से कम आप 48-50 सही उत्तर देकर ही
परीक्षा-भवन से बाहर निकलें. यदि परीक्षा आपको paper टफ लगे तो 42-48 का मार्क्स भी
अच्छा है.
2. 1 घंटे की परीक्षा (exam)
में आपका 2-3 मिनट इधर-उधर के कार्यों
में ही बीत जाता है. कभी invigilator
साहेबसिग्नेचर कराने टपक पड़ते हैं तो कभी
आलसी invigilator से पाला पड़ गया तो आपको कॉपी भी टाइम पर नहीं मिलेगी. खैर यह सब तोभाग्य की
बात है. मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि 60 मिनट में 50 सवाल हल कर केही
रहूँगा, ऐसा दबाव खुद पर मत डालियेगा. कोशिश सिर्फ इतनी कीजिएगा कि किसी प्रश्न पर
अटक कर न रह जाएँ आप.
3. कौन-सा प्रश्न मेरे लिएसही रहेगा, इसका अभ्यास (practice) बहुत जरुरी है.
यह भी एक कला (art) है. प्रश्न (question) देखकर हीआपको यह लग जाना चाहिए – “हमसे न हो पायेगा!!!” या “अरे यह तो एकदम
आसानी से हलहो जायेगा”…… पहले से जिन्होंने कोई तैयारी नहीं कीऔर सीधे जंग में उतर आये हैं,वैसे
परीक्षार्थी परीक्षा की अर्थी निकाल देते हैं. वह प्रश्न को पहचानते नहीं कि उनके
लिए वह कितना आसान या कठिन है. सीधे बनाने लगते हैं. आधे रास्ते में उन्हें पता
लगता है कि “कोई हम-दम न रहा, कोई सहारा न रहा, हम किसी के न रहे,
कोई हमारा न रहा….”
4. प्रिलिम्स (prelims) और मेंस(mains) दोनों परीक्षाओं में प्रैक्टिस (practice) बहुत जम कर
चाहिए क्योंकि एक से एक दिग्गज परीक्षा में बैठते हैंजो सवाल देखकर ही पहचान जाते
हैं कि पूछा क्या गया है और आप्शन (option)
देखकर ही परख लेते हैं कि इसका उत्तर यह होना
चाहिए और नेक्स्ट दबा कर आगे बढ़ जाते हैं. इसीलिए आपका कॉम्पटीशन (competition) उनलोगों से है जो बहुत तैयारी कर के मैदान में उतरे हैं. आपमें थोड़ी-सी भी
कमी रही then you are out
of the battle.
5. सफलता का कोई शॉर्टकट (shortcut)
नहीं. आपने ने कई बार यह जुमला सुनाहोगा.
आपकी पहचान में ऐसे कईलोग होंगे जिनको देखकर आप कहते होंगे :- “अरे यार, राहुल ने बैंक
पी.ओ. (bank po) निकाल लिया, कितना लफंगा लड़का है वह,
हर वक़्त घर से बाहर रहताहै और शाम को
मटरगश्ती करता है”…..पर आप यह नहीं देखपाते कि राहुल ने क्या रणनीति(strategy) बनायी. रणनीति
का रोल बहुत महत्त्वपूर्ण है. आप चाहे 10 घंटे पढ़ लो पर आपकी
रणनीति ठीक नहीं हो तो आप सफलनहीं हो पाओगे.
6. अब सवाल यह उठता है कि रणनीति कैसे बनायी जाए. पहले तो आप कोई ऑनलाइन टेस्ट
सीरीज(online test
series) जरुर ज्वाइन करें. आजकल हर ऑनलाइन टेस्ट
सीरीज ठीक उसी फॉर्मेट (format)
में रहता है जैसा कि असल के इग्जाम में.
इसीलिए आपको इग्जाम में ऐसा कोई अनजाना-सा अनुभव नहीं होकि नेक्स्ट बटन किधर है, टाइमर कहाँ है, रिव्यु बटन
काक्या मतलब है इत्यादि.
7. रोज कम से कम एक ऑनलाइनटेस्ट जरुर दें. पर ऑनलाइन टेस्ट देने के बाद यह
नहीं महसूस करें कि आपने आज की पढ़ाई कर डाली. वह सिर्फ एक टेस्ट था. आपने उसके
जरिये खुद को आँका. बुक्स से भी जरुर अभ्यास करें. बाजार में 20 से 50 प्रैक्टिस सेट(20-50 practice sets)उपलब्ध हैं. उनसे भीअभ्यास (practice)
कीजिये.
8. अक्सर मिलने वाली विफलताओं और घर के माहौल से कभी-कभी पढ़ाई का सिलसिला
टूटजाता है और उत्साह का लेवल भीगिर जाता है. ऐसी स्थिति में मोटिवेटिंग स्टोरीज
जरुर पढ़िए. मैं विवेकानंद की कहानियों को पढ़ता था.
9. बोलने से ज्यादा काम पर ध्यान दें. मैंने ये कम्पलीट (complete) कर लिया. मैंने
वह कम्पलीट कर लिया. आखिर कम्पलीट की परिभाषा क्या है, यह जानना जरुरी
है. आप सिलेबस (syllabus) कभी भी कम्प्लीटली फिनिश नहीं कर सकते. असंभव है. मगर बहुत हदतक अपने आप को
तैयार कर सकते हैं.
10. स्वयम् पर अधिक दबाव नहीं डालें. जितने ठण्डे दिमाग से परीक्षा दीजियेगा
उतना ही अच्छा performance करपाइएगा.
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Saurabh goyal
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